इन दिनों एक फिल्म बड़ी चर्चा में है "द कश्मीर फाइल्स". फिल्म एक हिस्से में बताया गया है कि हिंदुओं के कई ग्रंथों की रचना कश्मीर में हुई, लेकिन पाकिस्तानियों के षड्यंत्र के तहत हिंदू सभ्यता के इस महान केंद्र का विनाश हुआ.
सच है कश्मीर में बड़े महान ग्रंथ रचे गए. लेकिन जो महानता का गाना गा रहे हैं, उनसे पूछो कि उन्होंने कभी पंचतंत्र, हितोपदेश, कथासरित्सागर, सोमनाथ भट्ट अभिनव गुप्ता, किसी को पढ़ा, तो ज़्यादातर का जवाब ना ही होगा.
लोग कभी भी सत्य को ख़ुद नहीं समझना चाहते. कभी कोई पंडित, कभी कोई मौलवी, कभी कोई प्रधानमंत्री, तो कभी कोई फिल्मनिर्माता इनके दिमाग़ में जो कुछ डाल दे, बस उसी को सच मानकर रटना शुरू कर देते हैं.
हज़ारों साल पुरानी सभ्यता को 2 घण्टे की फिल्म में समझना चाहते हैं, वो भी एक ऐसे निर्माता द्वारा बनाई फिल्म जो ख़ुद एक भाजपा समर्थक है.
इनके जाल में न फँसो. हिन्दू ग्रंथो का अध्ययन करो, तो ज्ञान मिलेगा. वरना राजनेताओं की कठपुतलियाँ बनकर अर्धसत्य में जीते रहोगे.